सुमन अंत में सो जाए

शनिवार, 14 अप्रैल 2012

कैसा उनका प्यार देख ले
आँगन में दीवार देख ले
दे बेहतर तकरीर प्यार पर
फिर उनका तकरार देख ले

दीप जलाते आँगन में
मगर अंधेरा है मन में
है आसान उन्हीं का जीवन
प्यार खोज ले सौतन में

अब के बच्चे आगे हैं
रीति-रिवाज से भागे हैं
संस्कार ही मानवता के
प्राण-सूत्र के धागे हैं

सुन्दर मन काया सुन्दर
ये दुनिया, माया सुन्दर
सभी मसीहा खोज रहे हैं
बस उनकी छाया सुन्दर

मन बच्चों सा हो जाए
सभी बुराई खो जाए
गुजरे जीवन इस प्रवाह में
सुमन अंत में सो जाए

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