विकास शब्द की सच्चाई

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012


आजकल यहाँ हर कोई कहता फिरता है की हमें विकास चाहिए ,सरकार कह रही है की हम आपको विकास देंगे ,महिलाये कह रही हैं की हमें विकास चाहिए , गरीब कह रहे की हमें विकास चाहिए ,पूरा भारत देश कर रहा है की हम तो हर हालत में विकास लेकर ही रहेंगे .भाई रुको जरा समज तो लो की विकास है क्या बला विकास की परिभाषा.

अमेरिका और वर्ल्ड बैंक ने मिलकर भारत जैसे गरीब देशो का शोषण करने के लिए बनायीं है .सरकार की चाल है की इस विकास सबद के मायाजाल में फंसा कर गाँव में रहने वाले गरीबो को शहर की तरफ लाया जाए और वहां बड़ी बड़ी कंपनियों में मजद्रूरी कराये जाए .

भारत सरकार नकारात्मक विकास में लगी हुई जो अगली पीढ़ियों को बर्बाद कर देगा .असल आज का विकास पदार्थ अवस्था पर आधरित है और प्राचीन भरत का विकास प्रानावस्था पर आधारित था .फर्क देखिये प्रानावस्था पर आधारित विकास में हम सोने की चिड़िया थे और पदार्थ अवस्था के विकास के दोर में हमारे 33 करोड़ देशवासियों को २ वक्त की रोटी नहीं मिलती है .कही जगह मिले तो रुक जाइए और बेठ कर सोचिये कही हम बर्बाद तो नहीं हो रहे हैं .ऐसी प्रगति किस काम की जो हमरी प्रकति को ही नुक्सान पहुंचा रही है .
जब प्रकति ही नहीं रहेगी तो हम और आप कहाँ से जिन्दा बचेंगे .हमें विकास चाहिए भले ही बर्बाद हो जाए लानत है इस सोच पर


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धन्यवाद एवं हार्दिक शुभेच्छा,

राकेश चन्द्र
प्रकृति आरोग्य  केंद्र

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