डॉ.दिव्या श्रीवास्तव शायद भारतीय संविधान का टोचन सह न सकेंगी
मंगलवार, 17 अप्रैल 2012
अभी हाल ही में भड़ास पर इंजीनियर दिवस गौड़ जी की टिप्पणी और फिर उस पर निकली भड़ास को पढ़ा । पढ़ कर आगे बढ़ने चला तो देखा कि दिव्या जी ने कुछ नया लिखा है। उनके ब्लॉग पर जाकर पिछली एक पोस्ट देखी जिसमें उन्होंने फ़ेसबुक से किसी नियाज़ अहमद सिद्दीक नाम के बंदे की टिप्पणी (अंग्रेजी में) अपने ब्लॉग पर लगा रखी है और उसे "बेबाक टिप्पणी" का दर्ज़ा दे रखा है। आगे बढ़ कर देखता हूँ तो फ़ेसबुक से इस बन्दे ने(काफ़ी हद तक केजरीवाल गैंग का बनाया एक फर्ज़ी प्रोफ़ाइल लगता है) उक्त बात हटा दी है। साथ ही जब आँख खुली अंधे की तो.... इसने अब फ़ेसबुक पर लोगों से जुड़ना बंद कर दिया है समझ गया होगा कि अम्बेडकर को उंगली कर तो दी लेकिन उसके बाद जो कुतुबमीनार इसके पिछवाड़े घुसेगी उसका क्या होगा लेकिन दिव्या जी तो उन्मादित होकर उसे ललकार रही हैं कि ये भगोड़ापन है।
1 टिप्पणियाँ:
एक डरी हुई टिप्पणी आयी है लेकिन चूँकि उसके माँ-बाप ने या तो कोई नाम नहीं रखा होगा या नाम लिखने में उसकी हवा तंग होती होगी इसलिये बेनामी टिप्पणी करी है कि वो डॉ.दिव्या श्रीवास्तव का लोकेशन जानता है। इस ढक्कन से मैं कहता हूँ कि जो उखाड़ते बने उखाड़ ले उसे जो करना है वो करती रहेंगी।
जय जय भड़ास
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