भारतीय राजनीति को संवेदना और संजीदगी भरा नेतृत्व चाहिए !!!
सोमवार, 20 अप्रैल 2015
2009 का लोकसभा चुनाव, उत्तर प्रदेश में राहुल की मुहीम और मनमोहन सरकारी का कार्य जी हाँ कोई फेकू भाषण नहीं कोई छलावा नहीं किये कार्य का आधार और सुप्त पड़ी उत्तर प्रदेश कांग्रेस में राहुल ने जान फूंका जब सूबे में सबसे बड़ी पार्टी बन कर कांग्रेस उभरी, सालों बाद प्रदेश में कांग्रेस ने एक बेहतर मुकाम हासिल किया और वजह केवल राहुल का धरातली कार्य. परिणाम के बाद मीडिया मंथन और व्याख्या जैसे राहुल भारतीय राजनीति का ध्रुव तारा आज भी मुझे याद है क्यूंकि ब्लॉग में मीडिया की खिंचाई किया करता था मैं फिर 2014 के चुनाव में पप्पू का प्रचार और मीडिया को मोदी द्वारा जेब भराई का कीमत चुकाना मोदी के इशारे पर पत्रकारिता का त्याग करना.........
मोदी ने आकर राजनीति में संजीदगी भरे नेतृत्व को उचक्का नेतृत्व बना दिया जिसका भरपूर कीमत मीडिया को भी मिला मगर भारतीय राजनीति आज भी संवेदन और संजीदगी भरे नेतृत्व की बाट जोह रहा है.
मीडिया को तेवर चाहिए जो मोदी जैसा हो मगर क्यूँ ????
भारतीय राजनीति को संवेदना और संजीदगी भरा नेतृत्व चाहिए !!!
भारतीय मीडिया के लिए राहुल के पास नए मुद्दे नहीं हैं.......
हद है किसान मजदूर गरीब दलित आदिवासी के मुद्दे कब से बदल गए, क्या हमारे लोकतंत्र का मुद्दा अम्बानी अडानी के आदेश निर्देश पर मिडिया निर्धारित करेगा......
जाहिर है जमीन की हकीकत और मुद्दा राहुल के पास है और मोदी मंथन के बाद मीडिया को उसकी पूरी कीमत मिल जानी है खाली हाथ तो किसान मजदूर आदिवासी दलित रह जाने वाला है !!!
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