बेनामी कमेंट करने वालों को ललकार रहा है भड़ास..
मंगलवार, 3 फ़रवरी 2009
आज ही नहीं हमेशा से भड़ास का मूल दर्शन रहा है खुल कर लिखना और दिखना, सियार की तरह से हरकतें करना कभी भी भड़ासियों के स्वभाव में नहीं रहा है। किसी से प्रेम करा तो खुल कर दिल खोल कर और अगर किसी का मुखौटा नोचने का कार्यक्रम हुआ तो पुरजोर पेला गया। मैं निजी तौर पर भड़ास को मात्र वेबपेज पर दिखावे के लिये नहीं बल्कि जिंदगी में भी जीता हूं और इसके लिये हर कीमत चुकाने को तैयार रहता हूं जान देने की भी बारी एक या दो बार नहीं कई बार आ चुकी है पर हम उन फट्टुओं की जमात के नहीं कि जरा सा नुकसान हुआ तो आदर्श बदल कर सामने आ गये। मैं लीचड़पन का हमेशा धुरविरोधी रहा हूं। बेनामी कमेंट करके भड़ास को धमकाने का प्रयास करने वाले तुम्हें मेरा घर पता है और मुझे तुम्हारा अगर कलम छोड़ कर हाथ पैर से बात करने का इरादा हो तो हम इस बात के लिये भी पीछे नहीं हटेंगे क्योंकि हमारी रगों में शराब नहीं बहती है खून है और वो भी लाल रंग का....... ब्लड रिपोर्ट भेजूं क्या? जब माता-पिता ने नाम दिया है तो उसके साथ सामने आना अब तक न सीख पाए तो भड़ास से क्या टकराओगे??????
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
जरा हमे भी तो बताओ ये कोन से भाई या बहन है जो बिन नाम आप को धमका रहे है ,
क्या ये इस बात का सबूत नही है की आप उन से ज्यादा पोपुलर हो गए है ,
अगर इंसान सच्चा है तो उसे मुंह छिपाने की क्या आवश्यकता है यहां कोई सच बोलने या लिखने पर फ़ांसी तो लग नहीं जाएगी।
जय जय भड़ास
गुरुदेव,
हमने कभी अनाम,गुमनाम,बेनाम और इस प्रकार के जीवों को तवज्जो नही दी है सो आप भी रहने दें. वैसे गलियों के साथ गुडी गुडी भाषा का उपयोग करने वालों के लिए बस इतना ही कि इन्ही बेनामी कमेंटों से हमें इनके चहरे से नकाब हटा कर इनकी सच्चई भी तो सामने लानी है,
सो बेनामी नाजयजों अपनी प्रितिक्रिया जारी रखो, तुम्हारे इसी प्रतिक्रया से तुम्हारा चेहरे की सफेदी पर कालिख पोतुंगा.
जय जय भड़ास
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