सियार के पिल्ले! राष्ट्रवाद और महाराष्ट्रवाद में अंतर समझता है?
रविवार, 27 सितंबर 2009
इस चित्र में इस बदबूदार कीड़े का घिनापन दिख रहा है जरा एन्लार्ज करें
इस कीड़े को लगता है कि डा.रूपेश श्रीवास्तव सुरेश चिपलूणकर जैसे लिबलिबे आदमी का नाम लेकर प्रसिद्धि पाना चाहते हैं। अबे ढक्कन! चिरकुट!! तू खुद तो अपने मां-बाप के दिये हुए नाम को बताने में शर्माता है और डा.श्रीवास्तव को कहता है कि छद्म हैं। सियार के पिल्ले! राष्ट्रवाद और महाराष्ट्रवाद में अंतर समझता है? अगर तू कभी मुंबई आए तो पहले तो तेरी बेरोजगारी दूर करेंगे और तेरा नामकरण संस्कार करेंगे फिर बताएंगे कि भड़ास का राष्ट्रवाद क्या है। तुझे ये निक्कर छाप लोग जो देश के तिरंगे को भगवा कर देने और लोकतंत्र की हत्या करने के लिये १९०४ से सक्रिय हैं बड़े राष्ट्रभक्त नजर आते हैं तो समझ आ रहा है कि तुझमें कितनी अक्ल है। जरा खुल कर सामने आ और बता कि तू राष्ट्रवाद किसे कहता है? गणेश की मूर्ति तोड़ देना या बाबरी मस्जिद ढहा देना इन जैसे चूतिया लोगों के लिये राष्ट्रीय समस्याएं हो सकती हैं क्योंकि इन्हें बेकारी, गरीबी, भ्रष्टाचार, नौकरशाही आदि जैसी समस्याएं नहीं दिखतीं; राष्ट्र के लोकतंत्र में परिवारवाद का जो दीमक लग गया है वह नहीं दिखता। तुझ जैसे ठसबुद्धि इन्हें शायद अपना नेता मानते हैं तभी मरे जाते हैं। अगर ज्यादा समस्या है तो बेटा भड़ास पर आ और विमर्श में उतर तब देखते हैं कि तू कितने पानी में है। भड़ासी बुरे हैं गंदे हैं अराजक हैं लेकिन तुम लोगों जैसे राष्ट्र की लोकतांत्रिक सोच के साथ बलात्कार नहीं करते।
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
jai bhadas jai jai bhadas
बहुत ही आक्रामक रवैया इख़्तियार कर रखा है, आपने यहां।
चलिए ईंट का जवाब पत्थर भी सही।
दोबारा इधर मुंह करने से पहले भी हजार बार सोचेगा और फिर इरादा बदल लेगा कि मत जाओ भाई सारे भड़ासी मिल कर मुंडी रगड़ कर घसीटते हैं। दीनबन्धु भाई मजा आया आपके लेख को पढ़ कर बिलकुल सही तुर्की-बतुर्की है
जय जय भड़ास
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