वाह रे ! बेनामी क्षत्रिय क्या बहादुरी है तेरी......

रविवार, 6 जून 2010

ठाकुर की ठकुराई देख लीजिये इस कमेंट पर क्लिक करके कि ये क्या करतूत है। ये बहादुर ठाकुर पता नहीं किस पोस्ट पर टिप्पणी कर रहा है लेकिन बेचारे के बहादुर माता पिता ने अब तक इसका नाम नहीं रखा इस लिये कमेंट बेनामी ही है। श्री ठाकुर सिंह जी महाराज पता नहीं किसकी मां के बारे में लिख कर बता रहे हैं कि वे कितने बड़े अहिंसा के पुजारी हैं। बहुत संभव है कि जिस तरह से ये जैन धर्म के बारे में लिख कर अहिंसा का उपदेश लिख रहे हैं तो पता चलता है कि सारी गालियाँ अनूप मंडल के हिस्से में हैं।
ठाकुर जी निवेदन है कि अगली बार थोड़ा सा साहस करके अपने असली परिचय के साथ आइयेगा और किसकी माँ को किसके नीचे सुलाना है जरा साहस करके लिखियेगा तो आपको पता चलेगा कि अहिंसा के साथ सत्य बोलना भी जैन धर्म में बताया गया है जो कि आप नहीं बोल रहे हैं।
जय जय भड़ास

1 टिप्पणियाँ:

अजय मोहन ने कहा…

भाईसाहब ये कोई चूतिया किस्म का बंदा है जो खामखां ही ठाकुर बनने की कोशिश में अपने साथ जैनों को भी लपेट रहा है क्योंकि इसकी औकात इसके बेनामी होने,जैनों की प्रशंसा में कसीदे पढ़ने और लोगों की मां के सोने सुलाने की बात से पता चल रही है
इसमें दम है और इसमें साहस है तो खुल कर आए तब इसे पता चलेगा कि किसी की मां के बारे में इतना पापपूर्ण विचार रखना क्या होता है और भड़ास पर ऐसे लोगों को कितना बड़ा डंडा डाला जाता है
जय जय भड़ास

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