अंधा बाँटे रेवड़ी फिर फिर अपनेहि लेय....मीडिया क्लब में यही चल रहा है क्या???

बुधवार, 1 सितंबर 2010


ये हैं वो मुखौटाधारी जो कि मीडिया क्लब ऑफ़ इंडिया नाम की वेबसाइट पर इस माह के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर स्वीकारे गये हैं। जनाब मेरे द्वारा शुरू करे गये एक विमर्श में बिना जाने समझे मुँह मारने टपक पड़े। पहले तो शराफ़त अली का मुखौटा लगाए थे तो मुझे बड़ा भाई कह कर समझा रहे थे लेकिन जब मैंने थोड़ी सी नोच खसोट करी तो असल चेहरा सामने आ गया और तू-तड़ाक पर उतर आए। मुद्दा था जिस पत्रकार ने अम्मा का दूध पिया हो वह दो आर.एन.आई. नंबरों का राज़ खोले। अब चूँकि ये महानुभाव पत्रकार तो हैं नहीं लेकिन पत्रकारों को तेलमालिश में सबसे आते तेल और चटाई लेकर आगे खड़े रहने की मजबूरी में है क्योंकि एक गैर सरकारी संगठन चलाते हैं और अभी तीन साल पूरे नहीं हुए तो जाहिर सी बात है कि अपने संगठन के कामों को अखबारों में छपवाने के लिए मजबूरी में ऐसा करना पड़ता है। दूसरी बात कि इन ब्लॉगर शिरोमणि जी के दिमाग में हिंदुत्त्व की कीड़े रेंगते रहते हैं कभी शिव जी को चर्चा में घसीट लेते हैं कभी अन्य देवी देवताओं की दुहाई देते हैं। खुद का अस्तित्त्व बड़ा ठिगना सा है इसलिये अपने परिचय के लिये अपने पुलिस स्टेशन के फोन नंबर और अपने दुश्मन तक की चर्चा करने से नहीं चूकते कि शायद हो सकता है बड़े ताकतवर अपराधी को अपना दुश्मन बता कर ही कुछ नाम हो जाए।
मैं मीडिया क्लब ऑफ़ इंडिया में बार बार निमंत्रण देने पर गया था लेकिन अब मैं वहाँ से खुद न हटूँगा। संचालकों को ये बात समझ में आनी चाहिए कि काँव-काँव करने वाले कौव्वों की भीड़ से ज्यादा ताकतवर एक बाज़ अकेला रहता है। इन लोगों ने शायद भड़ास की ताकत को कम आँक लिया है। हम गँवार, अनपढ़, मजदूर, किसान जैसी फ़ितरत के जाहिल कब भला आदमी होने का तमगा चाहते हैं। ऐसे लोगों की बराबर और लगातार क्लास ली जाती रहेगी।
जय जय भड़ास

2 टिप्पणियाँ:

मुनेन्द्र सोनी ने कहा…

कमी नहीं है लुक्खों की साहब
एक ढूंढो हजार मिलते हैं....
अभी तो आप नये नये जुडे हैं उस साइट से आगे आगे देखिये कितने चेहरे बेनकाब हो जाएंगे और अंत में आपको वहाँ से बेदखल कर दिया जाएगा क्योंकि सारे सियार एक साथ आपके खिलाफ़ हुंआ हुंआ चिल्लाने लगेंगे
जय जय भड़ास

अजय मोहन ने कहा…

भाई चिरकुटों को न हीरो बनाइये न विलेन ये अभी उस पायदान तक नहीं आए हैं कि भड़ास जैसे मंच से इनका विरोध करा जाए। ये चूतिये हैं और रहेंगे। भिखारी के कटोरे से चवन्नी चुराने वाले गैरसरकारी संगठनों वालों को इतना तवज्जो मत दीजिये।
जय जय भड़ास

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