राक्षस अमित जैन को अनूप मंडल काखुला जवाब
सोमवार, 3 जनवरी 2011
अमित जैन हम सब तुम्हें और तुम्हारे विचार विमर्श में आने के साहस का सम्मान करने लगे हैं क्योंकि तुम एक मात्र वो जैन हो जो अनूप मंडल द्वारा करे जा रहे विचार विमर्श में पीठ दिखा कर महावीर सेमलानी या संजय बेंगाणी की तरह मुंह छिपा कर भाग नहीं गए। तुम भले ही दुराग्रही और कपटी हो लेकिन बहादुर हो इस बात के लिये हमारा सलाम स्वीकार करो। हजारों जैन भड़ास पर आकर हमारी बातें पढ़ते हैं जो कि तुम्हारे लिये स्पष्टतः विरोध में रहती हैं लेकिन तुम विमर्श में मौजूद हो अपनी कपटनीति चल कर ही सही कि लोगों को चुटकुलों में या अफ़गानिस्तान-पाकिस्तान की बातों में या फिर इस्लाम की निंदा में उलझा लो। तुमने दो सवालों को बड़ी ही गर्मजोशी से गालियाँ लिखते हुए ये लिखा कि किन देशों के अध्यक्षों को हमने पत्र लिखा है और किस धर्मपुस्तक में लिखा है कि जैन राक्षस होते हैं। तुम्हारे पहले सवाल का जवाब तो हम उन पत्रों को भड़ास पर प्रकाशित करके ही दे देंगे। दूसरी बात कि यदि तुम वेदों के महापंडित स्वामी दयानंद सरस्वती को चूतिया, पागल, कुत्ते की औलाद आदि गालियाँ देने का साहस रखते हो तो जान लो कि उनके गृन्थ "सत्यार्थ प्रकाश" को पढ़ लो तुम्हें पता चल जाएगा कि तुम्हें उन्होंने स्पष्ट शब्दों में क्या क्या लिखा है।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास
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