पर्यावरण मंत्रालय सिर्फ़ ऊंची इमारतें देखता है

गुरुवार, 20 जनवरी 2011

जो लोग ये सोचते हैं कि हमारे देश का पर्यावरण मंत्रालय असल में नदी, पहाड़, जंगल, झरने, पशु-पक्षी आदि के बारे में कार्य करता है तो वे अव्वल दर्ज़े के बेवकूफ़ हैं। मुंबई में समुद्री जंगल(सी वुड़्स यानि मैन्ग्रोव) हो या गंगा के घाट हों पर्यावरण मंत्रालय ने कभी उनकी अंधाधुंध कटाई या विनाश के बारे में उतनी अधिक मुस्तैदी दिखाई है जितनी कि मुंबई की आदर्श सोसायटी और "लवासा" जैसे प्रोजेक्ट्स पर दिखाई जा रही है। नदियाँ और जंगल प्रदूषण और बेतहाशा कटाई से मर रहे हैं, मुंबई में समुद्र के आसपास के नमक के खेत सिमट कर गायब होते जा रहे हैं समुद्री जंगल पहाड़ी जगहों से मिट्टी पत्थर ला-लाकर भराई करके दफ़न करे जा रहे हैं कभी पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने साँस भी नहीं ली लेकिन अरबों खरबों रुपये की बात आते ही इस प्राणी को अस्थमा हो गया और गहरी गहरी फुंफकार छोड़ने लगा। इससे हमारी भोली भाली जनता को लगने लगा कि पर्यावरण मंत्रालय भी काम करता है। नई मुंबई में जब एक तरफ से जुईनगर खाड़ी से और दूसरी तरफ से अलीबाग खाड़ी से पानी भर कर सब डूब जाएगा तब इस धूर्त को अवैध उत्खनन के बारे में होश आएगा।
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