अमित जैन विषय भटका कर किधर ले आया यानि काले जादू की बात अभी भी पीछे रह गयी
सोमवार, 9 मई 2011
हमेशा की तरह से जो हम सब कहते आए हैं कि राक्षस हमारे समाज में ही हमारे जैसे ही दिखते हुए रहते हैं और खुद को छिपाए रहते हैं। सब जानते हैं कि जब भी कोई ऐसी बात निकलेगी कि इनकी दानवता के असल परिचय से पर्दा हटाने का प्रयास करा जाएगा ये विषय को भटकाने का पूरी ताकत से प्रयास करेंगे। इसमें कुछ सामने आकर जैसे प्रवीण शाह और कुछ छिपे दानव जैसे कि कुमारी शालू जैन और सुरेश वर्मा जैसे छद्म नामों से इन्हें सहयोग करेंगे।
विषय था आदरणीय डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी की स्वर्गीय माताजी की तंत्र-मंत्र के प्रयोग से कर दी गयी क्रूर हत्या का लेकिन जब इस गम्भीर विषय पर हम सब शोध की बात करते हुए विमर्श को आगे बढ़ा रहे थे तो ये अपनी कुटिलता अपनाते हुए कभी चुटकुले लिखता था कभी कार्टून बनाता था और एक ही रट लगाए रहता था कि ये सब अंधविश्वास है। इसकी इस कुटिलता में इसके साथ प्रवीण शाह खड़ा है जिसने अब तक शोध की बात में कोई ऐसी बात प्रस्तुत नहीं करी जो कि ये सिद्ध कर दे कि ये सब अंधविश्वास है, इसने उस हत्या को बड़ी ही कुटिलता से "पपीता प्रकरण" नाम दे दिया ताकि कोई नया पाठक इस विषय को समझ ही न सके कि यह मुद्दा एक क्रूर हत्या से जुड़ा था। अभी तो भड़ास के मंच पर इन राक्षसो की तमाम करतूतें उजागर होनी बाकी हैं लेकिन आप सब जान गए हैं कि इनकी कार्यपद्धति क्या है। प्रवीण शाह नहीं चाहता कि अनूप मंडल के खिलाफ़ कोई कानूनी कार्यवाही करी जाए क्योंकि इससे इनकी करतूतें जनता के सामने आने लगेंगी हम तो सीना ठोंक कर कहते हैं कि यदि हम गलत हैं कि ये राक्षस लोग हैं तो हमें फाँसी दे दी जाए।
जय जय भड़ास
जय नकलंक देव
1 टिप्पणियाँ:
काला जादू
सफ़ेद जादू
रंगबिरंगा सतरंगा जादू
हत्या जैसी बात को भड़ास पर इस तरह से चर्चा करा जा रहा है ये जादू नहीं तो और क्या है
जय जय भड़ास
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