उर्दू के स्वयंभू मठाधीश ही उर्दू की कब्र खोद रहे हैं भाग - तीन
बुधवार, 11 मई 2011
बनिया किस्म के उन लोगों की जमात जो कभी नहीं चाहती थी कि उर्दू भाषा और नस्तालिक लिपि के बोलने जानने वाले लोग कभी उनकी मोहताजी से ऊपर उठ सकें तो उन्होंने ऐसा चक्रव्यूह रचा कि जिसमें तमाम बुद्धिजीवी फंस कर रह गए। ये षडयंत्र इतना मनमोहक और दिलफरेब था कि उर्दू भाषा और नस्तालिक लिपि से जुड़े लोग इस भ्रम में ही उलझ गए कि "इनपेज" नामक साफ़्टवेयर के अलावा उर्दू कम्प्यूटर पर मर जाएगी।
जब से मैंने रेहान अन्सारी नामक "इनपेज" के सेल्समैन की पोल खोलना शुरू करी है तो इसके कई वक़ील खड़े होकर दुहाई दे रहे हैं कि देखो शम्स तबरेज़ ये इतना बड़ा और महान आदमी है और तुम इसकी बुराई कर रहे हो। कुछ लोगों को तो मेरे अस्तित्व पर ही संदेह है लेकिन क्या इनके गुमनाम लिख देने से मेरा वजूद खत्म हो जाएगा?मेरे थोड़ा सा लिखने की धमक से इनके बरसों से जमे हुए सिंहासन की चूलें हिल गई हैं और इन सबका चीखना-चिल्लाना शुरू हो गया है।
मुझे अभी किन्ही श्रीमान खान साहब ने ई-मेल करा है जिसका कि शीर्षक अंग्रेजी में है और मेल के साथ एक फाइल जोड़ी हुई है जो कि "इनपेज" में लिखी हुई है। अब इन आंख वाले सूरदास खान साहब को दिखाई नहीं देता कि यदि मेरे पास "इनपेज" न हो तो पहले मैं बाजार से बनिया की दुकान से वो साफ़्टवेयर खरीदूं तब कहीं जाकर इनकी बात देख सकूं। अरे मेरे भाई कम से कम इतनी तो बुद्धि होगी कि इतनी सी बात समझ सको कि जाने-अनजाने में आप भी "इनपेज" के दुकानदारों के सेल्समैन बन जाते हो क्या इसी को उर्दू की तरक्की मानते हो?? जनाब खान साहब बस इतना जान लीजिये कि एक आपके हिसाब से बहुत महान डाक्टर है जिसने कि बहुत अच्छी बैसाखी बनाई है तो क्या आप अपने बच्चों को उनके पैरों पर चलना नहीं सीखने देंगे सिर्फ़ इसलिये कि बैसाखी बड़ी सुन्दर है और उसे बनाने वाला डाक्टर आपकी पहचान का है। भाई ये लोग सिर्फ़ और सिर्फ़ आपकी उर्दू और नस्तालिक के लिये मोहब्बत के टके करा के चांदी काट रहे हैं यही वजह है कि जब लोग चलना सीख रहे हैं तो इन बैसाखी बेचने वाले दुकानदारों में खलबली है। क्या आपको पता है कि text और font में क्या अंतर होता है????
अगर आप सचमुच हक़ के साथ हैं तो मेरी बात को समझ कर साथ दें न कि बाजारू बनियों के सेल्समैन का रोल करें। एक बात और कि ये बनिये इस निगेटिव पब्लिसिटी का भी फ़ायदा उठा रहे हैं लेकिन मेरी मजबूरी है कि इन पर लिखूं और सच सामने लाऊं।
जय जय भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
शम्स भइया आपने अब तक इन महानुभाव का भेजा हुआ मेल पब्लिश नहीं करा वो कब करेंगे?हमें इंतेज़ार है।
आदरणीय डा.रूपेश श्रीवास्तव जी के विरुद्ध प्रलाप करने वाला व्यक्ति निःसंदेह राक्षस ही होगा।
जय जय भड़ास
जय नकलंक देव
एक टिप्पणी भेजें