अमित जैन और प्रवीण शाह क्यों नहीं चाहते कि डॉ.रूपेश जी की माताजी की हत्या का रहस्य खुले?

बुधवार, 13 जुलाई 2011

आज इतने दिन हो गये इस प्रकरण को घटित हुए लेकिन आज तक प्रवीण शाह और अमित जैन ने किसी भी प्रकार से ये नहीं चाहा कि आदरणीय डॉ.साहब की माताजी की जिस तरह क्रूरता से हत्या कर दी गयी उसका रहस्य खुले। हम कई लोगों ने जब भी इस विषय पर चर्चा करी तो इन दोनो ने कभी अमित की पत्नी को बीच में लाकर खड़ा कर दिया जबकि प्रवीण शाह ने वो तस्वीर देखी तक नहीं है लेकिन चूँकि विषयान्तर करना है तो इस तरह की हरकत जरूरी हो जाती है कि कुछ अलग कर दिया जाए ताकि मुद्दा भटक सके। ये दोनो धूर्त कभी ब्लॉगर के मेन्टेनेन्स का रोना रोते रहे कि दो पोस्ट संचालकों ने हटा दी हैं प्रवीण शाह ने तो ये तक लिखा कि डॉ.रूपेश ने अपने कमेंट में ये बात स्वीकारी है और उस कमेंट की लिंक भी दी लेकिन जब उस लिंक को देखा तो इसकी मक्कारी तुरंत सामने आ गयी क्योंकि डॉ.साहब ने ऐसा कुछ नहीं लिखा था जो ये बता रहा था। इन दोनो महामक्कारों ने स्क्रीनशॉट्स के भी ट्रिक अपना कर सबको भ्रमित करना चाहा जिसकी पोल हमारी प्यारी बड़ी बहन मनीषा नारायण ने खोल कर रख दी तो भी बेशर्म प्रवीण शाह और अमित जैन नहीं माने कि ये चालाकी भड़ासी समझ चुके हैं और दूसरी बातों में उलझाए रहे। खुद डॉ.रूपेश जी ने कई बार इन दोनो धूर्तों से सीधे कहा कि तुम दोनो बताओ कि वीडियो की जाँच किस प्रकार करोगे तो इस बात पर ये चुप्पी साध जाते हैं। डॉ.साहब ने तो इन दोनो को मुंबई आने जाने का विमान का किराया, रहने का खर्च, इनकी फीस तक देने का वायदा इसी मंच पर लिख कर किया है तो ये दोनो मुँहचोर क्यों नहीं आ जाते अपनी बात को सही सिद्ध करने के लिये? ये कहेंगे कि इनके पास समय नहीं है ये व्यस्त हैं वगैरह वगैरह... तो फिर अपने किसी प्रतिनिधि को जो मुंबई में रहता हो उसे ही भेज दें ये भी कहा है लेकिन ये दुष्ट नहीं चाहते कि माताजी की हत्या का रहस्य खुले इसलिये कुछ न कुछ कपट करते रहते हैं। मैं अब तक नहीं समझ पाया कि ये दोनो ऐसा क्यों नहीं चाहते कि इस विषय पर कुछ बात आगे बढ़े ताकि माताजी की हत्या का रहस्य खुल सके।
जय जय भड़ास

1 टिप्पणियाँ:

अजय मोहन ने कहा…

दोनो अव्वल दर्जे के घुटे हुए मक्कार हैं इन्हें आप कितना भी रगेदो ये मानेंगे नहीं लेकिन फिर भी आप पेले रहिये। ये डॉ.रेहान अन्सारी,गुफ़रान सिद्दिकी,डॉ.दिव्या श्रीवास्तव और रणधीर सिंह सुमन से आगे की चीज़ें हैं बाबू इन्हें दूसरे तरीके से सम्मानित करना पड़ता है लेकिन ये मुंबई आने के बारे में भी तो साँस नहीं लेते इन्हें वीडियो की जाँच किसी वेबसाइट पर करनी है लेकिन ये नहीं बताते कि जाँच कैसे और किस पद्धति से करेंगे ये तार्किकता और विज्ञान के भड़वे
जय जय भड़ास

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