सिर्फ़ सिर के ही बालों का "केशलुंचन करा जाता है या बाकी अंगों के......????
सोमवार, 31 अक्तूबर 2011
ओह हो... तो वकील साहब आप हैं ये तो हमें पहले ही समझ लेना चाहिये था कि अमित जैन के वकील कहीं न कहीं से तो अपनी कुटिलता दिखाएंगे ही आखिर क्या करें अपने क्लाएंट को ऐसे निराधार तो नहीं छोड़ सकते न? अच्छा लगा कि तुम एक बार दोबारा आ गए रगेदने में मजा आएगा नंगे।
दिग दिगंत में अम्बर की बात करके..... बगैर वस्त्रों के भी नग्न नहीं हैं.... जैसे तर्क चेंपने की जरूरत इसलिये है क्योंकि मन में नंगेपन के प्रति अपराधबोध है तो दिशाओं को ही वस्त्र बता कर किसी तरह से ग्लानि से मुक्त होने का जतन करो। हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा...
अरे धूर्त ये नंगापन भी अभ्यास से आता है तेरे खलमुनियों में ये तो तू भी जानता है न कि ये धीरे धीरे उसी तरह नंगे होते हैं जैसे कि घटिया फिल्मों में अभिनय करने वाले लोग। यदि इतना ही बोध है दिशाओं के वस्त्र होने का तो जैसे पैदा हुआ था तू अब तक उसी तरह क्यों नहीं रहता?
एक बात और बता दे कि ये खलमुनि सिर के बालों को उखाड़ कर केशलुंचन करते हैं नीचे के बालों ने क्या बिगाड़ा है उन्हें क्यों नहीं उखाड़ते या फिर उखाड़ते हैं लेकिन उखाड़ते समय के फोटो उपलब्ध नहीं हैं।
न सिर्फ़ नंगापन बल्कि अश्लील भी है ये खुलेआम स्त्रियों के सामने गुप्तांगों का प्रदर्शन करना....
एक नंगा तो आँखों में बड़े अजीब से भाव लिये खड़ा है दिखावा कर रहा है आहार ग्रहण करने का लेकिन आँखें कुछ अलग ही देख रही हैं भोजन पर ध्यान नहीं है पट्ठे का ।
जय जय भड़ास
8 टिप्पणियाँ:
बहुत आश्चर्यजनक बात है दीन-बंधू जी, कि आपको और आपके मित्रजनों को जैन मुनियों के नग्न शरीर इतने पसंद हैं कि आप लोग उनकी ही तस्वीरें उतारते रहते हैं और फ़ेंटेसाइज़ होते रहते हैं। मैने सुना है कि ऐसी भावना तो गे में होती है। आप लोगों का यदि बहुत मन होता है ऐसी एक्टिविटी का तो आप लोग आपस में कर लिया करो। मैं आपकी फ़ोटो किसी को नहीं दिखाउँगा, ओ.के.। प्रोमिस। मुनियों के प्रति अच्छी भावना रखा करो यार आप लोग। वो लोग आपकी माँ बहनों के सामने तो नहीं आते ना। बस। फ़ालतू खून जलाने से क्या फ़ायदा ? वैसे भी आप लोगों में अच्छे खानदान का खून तो है नहीं। जो कुछ सड़ा गला है उसे भी वेस्ट क्यों कर रहे हैं आप लोग इस तरह। बी गुड बॉयज़। बेस्ट ऑफ़ लक।
हिंदुओं में भी नग्न साधु समुदाय होता है जिसे नागा साधु कहते हैं लेकिन बस परम्परा में ये अंतर है कि वे समाज से अलग-थलग कटे हुए रहते हैं। मुझे नहीं लगता कि आप इस तरह के आलेख लिख कर हजारों साल से चली आ रही परम्पराओं को बदल या प्रभावित कर पाएंगे\
जय जय भड़ास
@ किलर झपाटा
कल तक आप दीनबंधु से कुछ हद तक सहमति जता रहे थे आज क्या आदर्शवाद परिवर्तित हो गया क्योंकि आपका वो कमेंट तो मैंने भी देखा है जिसे आपने हटा दिया है।
जय जय भड़ास
आप पहलवान तो हो हम जान गये हैं(आपका प्रोफ़ाइल बताता है) लेकिन आपका स्त्रियोचित व्यवहार बता रहा है कि आप स्त्री हैं परन्तु हम स्त्री पहलवानों से पटका-पटकी करने से परहेज करते हैं(इसमें भी संशय है) अच्छे खानदान या बुरे खानदान से खून का संबंध नहीं होता वरना कथाएं बताती हैं कि रावण के ऋषि का पुत्र था, भक्त प्रह्लाद हिरण्यकश्यप नाम के एक राक्षसी वृत्ति के राजा का पुत्र था ।
क्या आप लेस्बियन हैं?
जय जय भड़ास
देख लीजिये आप लोग, अब ये डॉ. झोला छाप सॉरी रूपेश श्रीवास्तव, कितने आग्रहपूर्वक पूछताछ कर रहें हैं कि मैं स्त्री हूँ कि लेस्बियन हूँ कि पहलवान हूँ कि क्या हूँ ? याने जो भी हूँ, आपको सब चलेगा। छि छि छी। सेक्स की ऐसी भूख ? मेरी आदरणीय भाभीजी (आपकी धर्म-पत्नि) को पता चलेगी यह बात, तो उन पर क्या बीतेगी ? ये भी नहीं सोचते डॉ. साहब आप ? जब भी आपको मेरी बातों का जवाब नहीं सूझता आप मेरी खोजबीन जाँच-पड़ताल में लग पड़ते हैं। ये पोंगापन आप लोगों जैसे नासमझ समझदारों को शोभा नहीं देता। बिहेव योरसेल्व्स एण्ड टॉक अबाउट द पोस्ट ओनली। काइण्डली लर्न द सेन्स ऑफ़ ब्लॉगिंग फ़र्स्ट, अण्डर्स्टुड चिलरन। हा हा।
बहन किल्ली झपाटिन
अपना पता नहीं तो कम से कम अपनी आदरणीय भाभी जी(मेरी धर्मपत्नी) का ही पता बता दो क्योंकि मुझे आजतक नहीं मिली है हो सकता है कि अपनी ननद बाई से हाँगकाँग में मिली हो।
मैं जानता हूँ कि तुम क्या बताना चाहती हो मेरी कामविकृत मनोरुग्ण बहन :)
दोष तुम्हारी बीमारी का है कि तुम गे-लेस्बियन संबंधों के बारे में चिंतन करती रहती हो इसलिये तुम्हारी बीमारी दिन ब दिन गम्भीर होती जा रही है आने वाले समय में तुम पशु प्रेमी हो जाओगी यदि यही हाल रहा तो इसलिए समय रहते भड़ासायुर्वेद का उपचार ले लो ।
जय जय भड़ास
चिलरन??? ये क्या मंदारिन या चीनी भाषा का शब्द है बहन किल्ली झपाटिन या फिर तुम देवनागरी में गलत अंग्रेजी लिखने लगीं वैसे तुम्हारे लिये चिल्ड्रन और चिलरन में कोई अंतर नहीं है। है न? तुम बोलोगी भी तो वही जो नामवर सिंह कहते हैं घोरा सरक पर पराक पराक दौर रहा है(घोड़ा सड़क पर पड़ाक पड़ाक दौड़ रहा है)
जय जय भड़ास
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