प्रसिद्धि की भूख, विकृत कामोन्माद, पोर्न ब्लॉग की शुरुआत जैसे कई कारण हो सकते हैं इन हरकतों के पीछे
सोमवार, 7 नवंबर 2011
जब देश दुनिया में लोग अण्णा हजारे और उनकी टीम के बारे में लिख रहे हैं तो भड़ास पर उनके बारे में लगभग न के बराबर बात हो ये भड़ासियों का स्वभाव है। भड़ास पर आज काफ़ी समय के बाद आने पर पता चला कि एक बार फिर किसी मुखौटाधारी के पीछे पड़ कर उसकी मिट्टी पलीद करी जा रही है। मेरा क्षेत्र तो कानून का है लेकिन फिर भी जब प्रकाशित ताजा तरीन आलेख को देखा तो मन करा कि जिसकी चर्चा है उसके ब्लॉग पर जाकर देखूं कि आखिर वो कौन है। वहाँ जाकर जो देखा तो नजारा किसी सॉफ़्टपोर्न के कंटेंट जैसा है, ब्लॉगर द्वारा दी हुए कमेंट ऑप्शन में डॉ.रूपेश जी को खूब गालियाँ लिखी गयी हैं। लेखन शैली के बारे में जरूर कुछ कहना चाहूंगा। जब मैं छात्रावास में था तो मेरे कमरे के साथी कुछ पतली पतली किताबें लुकाछिपा कर पढ़ा करते थे मुझे याद है एक बार मैंने जब देखना चाहा कि आखिर उसमें क्या है तो पता चला कि वह विकृत तरीके से लिखी गयी यौनौत्तेजक कथाओं का तानाबाना था। इसके बाद ब्लू फिल्मों का जो दौर शुरू हुआ तो उसने इन किताबों को छोटे शहरों और गाँवों की तरफ धकेल दिया। इस लेखन शैली से पता चलता है कि उक्त ब्लॉगर किसी छोटे शहर या गाँव का रहने वाला है जो शायद प्रसिद्धि की भूख के कारण अपने ब्लॉग का ट्रैफ़िक बढ़ाने के लिये ऐसा कर रहा है अथवा ये भी हो सकता है कि वह मनोरोगी हो या फिर हो सकता है कि वह किसी पोर्न ब्लॉग की शुरूआत के लिये माहौल बना रहा है।
सब तरह के लोग ब्लॉगिंग में आ गए हैं जब अण्णा हजारे ब्लॉगिंग का सहारा ले सकते हैं तो फिर ये क्यों नहीं । इसने भड़ास के आईकॉन डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी के नाम के सहारे प्रसिद्धि की जो मुहिम शुरू करी है देखते हैं कितनी कामयाब होती है। मेरे अनुसार इन्हें इनके हाल पर छोड़ देना सही है और जब सामने आ जाएं तो फिर जैसे भड़ासी परम्परा अनुसार ऑफ़लाइन भड़ास निकालना चाहें निकाल लीजियेगा।
जय जय भड़ास
1 टिप्पणियाँ:
आप लोग मेरे मरीज पर जितना अधिक ध्यान देंगे उसकी बीमारी अधिक बढ़ती जाएगी क्योंकि वह तो चाहता / चाहती ही है कि लोग उसकी चर्चा करें भले ही गाली से या प्रेम से । क्षमा करें मेरे मरीज पर रहम करते हुए उसे अकेला आराम करने दीजिये।
बाकी सब खैरियत है न भाई?
जय जय भड़ास
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