तराजू छोड़ ये गुंडई करेंगे ......
बुधवार, 5 अगस्त 2009
येन-केन-प्रकारेण पैसा कमा लिया जाए इसके अलावा वणिक के जीवन का कोई सिद्धांत या आदर्श होता होगा कम से कम मुझे तो नहीं पता। समाचार और आम का अचार इनके लिये एक जैसी चीज हैं दोनो को ये दुकान पर तौल कर बेच सकते हैं। जब दुर्गंधाती, बास मारती और न जाने किस किसको तेल लगा कर पोंछे गए हाथों से चीकट हुई बनियान वाला बनिया अनप्नी दुकान में इज्जत,ईमान,धर्म आदि बेचने के बाद पत्रकारिता बेचे तो कैसा माहौल होगा। समानान्तर सूचना संचार माध्यमों में विगत कुछ वर्षों में ब्लागिंग ने इंटरनेट पर जोर पकड़ा है अखबारों और टीवी चैनलों से जुतिया लतिया कर भगाए चोरकट चिरकुट किस्म के डंडी मारने वाले लोग अपना अपना तराजू लेकर इस क्षेत्र में आ गए और दो जून की रोटी का आसरा पा गए। दुकान पर चार-छह ग्राहक आने लगे तो दिमाग और तोंद पर चरबी की पर्तें चढ़ने लगती हैं। बड़ी बातें करने लगते हैं,केंचुआ अपने को कोबरा समझने लगता है और फ़निहरों की जमात में जाकर फ़ुफ़कारने की बात करने लगता है, जहर चाहिए तब जुबान लपलपाओ वरना कोई गौरैया या मेढ़क चट कर लेगा तब समझोगे कि क्या औकात है।
पिछली भड़ास का भड़वा मुर्दा ममी लेकर बैठा दलिन्दर मोबाइल नंबरों और ई-मेल आई डी का उपयोग दुकान के प्रचार के लिए कर रहा है। इस चीसड़ लाला को जब इस तरह के प्रमोशनल मेल्स भेजने से मना करा तो आंखे दिखा रहा है। भाई! अंडे-ब्रेड बेचने वाला सुबह आवाज देकर चिल्लाता हुआ रोज निकलता है, हम नहीं खाते तो ध्यान नहीं देते वो चिल्ला कर चला जाता है अपने धंधे की राह पर। अगर आपके दरवाजे पर ही खड़ा रह कर आपकी नींद खराब कर रहा है जाता ही नहीं है तो बाहर आइये, समझाइये अगर गुंडई की बात करे और न माने तो वापिस अंदर आइये लट्ठ या हाकी स्टिक उठाइये और कस कर फोड़ दीजिए साले को। ध्यान रहे कि घर-परिवार वाला गरीब आदमी है चरबी चढ़ने के कारण गुर्रा रहा है था इसलिये मरहम पट्टी से लेकर अंडे-ब्रेड की भरपाई आपको दे देना चाहिये।
जय जय भड़ास
1 टिप्पणियाँ:
good
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