वेद कुरआन की बात करने वाला डा.अनवर जमाल भी सेक्स के भूत की चपेट में......

रविवार, 18 जुलाई 2010



जो कुदरती है वह बुरा कैसे हो सकता है बुरा और भला तो हम अपने सामाजिक नियमों से अपने हितो को मद्देनजर रखते हुए निर्धारित करते है। नीतियां भी वही पचती हैं जो कि हमारे हित में हों फिर हम बाद में उसे जनहित, राष्ट्रहित और ना जाने किन किन के हित से जोड़ कर बताते हैं ताकि अधिकतम लोग हमारे साथ खड़े हो जाएं। जैसा कि मैं पहले ही लिख चुका हूं कि मैं अच्छा मुसलमान नहीं हूं यदि ईश्वर अल्ला जिन सिद्धांतों पर दुनिया को किताबो में बता रहा है तो मेरी तो मिट्टी खराब होनी है लेकिन क्या करूं बुद्धि जो उसने दी है वह भ्रष्ट हो गयी है कि भड़ास पर रम गया हूं।
जो अच्छे हिन्दू या मुसलमान होने के लिये ताल ठोंकते नजर आते हैं उनमें से डा.अनवर जमाल जो कि पूरी दुनिया को जमालगोटा दे रहे हैं कि सनातनधर्म और इस्लाम मे बहुत साम्य है दोनो एक ही है हिन्दुओं को मुसलमान बन जाना चाहिये क्योंकि अन्तिम संदेष्टा ने कहानी पूरी कर दी है अब कोई विवाद नहीं होगा आदि आदि। अनवर जमाल के पत्रा पर देखा तो दंग रह गया कि ये आदमी तो एक नंबर का टोटकेबाज़ है। पोस्ट में जो लिख रहा है सो तो है ही लेकिन लेबल्स(जो कि पोस्ट को सर्च इंजनों की पकड़ में आने के लिये कुंजी का कार्य करते हैं) में ऐसा शब्द प्रयोग कर रहा है जिसका कि पोस्ट से कोई लेना देना ही नहीं है। ये टुच्चापन लोग अक्सर करते हैं कि लेबल्स में सेक्स,चू**, लं**,गां** जैसे शब्द तक लिख डालते हैं ताकि सर्च इंजन इस्तेमाल करके इस तरह का साहित्य पढ़ने वाले बीमार दिमाग लोग हैं वे तक आकर एक हिट दे जाएं। अनवर जमाल तुम भी जमाल गोटा छाप ही निकले तुम्हें भी सेक्स के भूत ने जकड़ रखा है और शायद ये भूत तुम पर किसी ने चढ़ाया होगा जो अब न उतरेगा। हो सकता है कि तुम अपनी पोस्ट में अब एडिटिंग करके खुद को पाक़ साफ़ जताने लगो लेकिन बेफ़िक्र रहना हमने स्क्रीनशाट ले लिया है जो प्रकाशित कर रहे हैं। अगर साहस है और ईमानदार हो तो झूठमूठ ही सही इस शब्द को लेबल में डालने का कारण स्पष्ट कर देना, सीता और राम की उम्र पर लिखने की बजाए देश की माओवाद जैसी समस्या पर लिखो तब पता चलेगा कि क्या हल सुझा रहे हो लेकिन तुम तो माओवादियों से भी यही कहोगे कि इस्लाम कुबूल कर लोग फिर लड़ो ताकि जन्नत मिले :)
खुश हो गए होगे कि निगेटिव पब्लिसिटी ही सही नाम तो हुआ
जय जय भड़ास

7 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

शम्स जी आपने भी पोस्टमार्टम की ही राह पकड़ ली। भड़ास पर ही हो सकता है सो आपने कर दिया। हिन्दू का राग अलापने वाले सुरेश चिपलूणकर और मुसलमान का राग अलापने वाले ये लोग यदि मौजूदा समस्याओं पर ध्यान दें तो शायद कुछ भला हो लेकिन ये तो अपनी अपनी किताबें लेकर सिरफ़ुटौव्वल में ही रस लेते रहते हैं। आपने अच्छा पकड़ा इस प्राणी को हो सकता है अब ये लेबल हटा दें और दोबारा ऐसा करने से पहले सोच लें
जय जय भड़ास

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

मेरे प्रिय भाई ! आपका एहसानमंद हूं कि आपने मुझपर इतना समय लगाया और इतना लंबा लेख लिखा।
1.पहली बात तो मैं आपको यह बता दूं कि सेक्स कोई गंदी चीज़ नहीं है। विवाह संबंध का उद्देश्य नस्ल चलाना होता है और विवाह को एक धार्मिक संस्कार और क़रार माना जाता है वेद वालों के यहां भी और कुरआन वालों के यहां भी। सम्भोग पर मैंने कई लेख लिखे हैं जो कि आपने संभवतः पढ़े ही नहीं। संभोग एक पवित्र कर्म है इसे अपवित्र बनाता है हमारा ईश्वर की मर्यादा और सीमा को तोड़ना। अपने ब्लॉग पर मैंने इसी बात पर ज़ोर दिया है कि लोग मालिक का आदेश मानें और उसकी निश्चित की गई मर्यादा का पालन करें।
2. टैग में सेक्स लफ़्ज़ लिखने पर आपकी तरफ़ से कोई पाबंदी है या नेक दिखने के लिये ऐसा नहीं करना चाहिये ऐसा न तो आपने कभी बताया है और न ही किसी और ने। फिर आपका ऐतराज़ क्या मायने रखता है ?
‘सेक्स‘ को टैग बनाने के पीछे एक रोचक क़िस्सा है जिसे पढ़ने के लिये आपको कुछ देर बाद मेरे ब्लॉग पर आना पड़ेगा, अगर बिजली व्यवस्था सुचारू रही तो ... ।
एक बार फिर आभार । बहुत दिनों बाद किसी ने मुझे निशाना बनाया, अच्छा लगा। आगे भी याद रखेंगे तो आभारी रहूंगा।

दीनबन्धु ने कहा…

अनवर जमाल जी के लिये दो पोस्ट हैं जिन्हें पढ़ कर उत्तर दें और बाकी बातें बाद में करेंगे कि वेदों और कुरान के साथ धम्मपिटक से लेकर बाइबिल और ज्येंदावस्ता में किधर किधर क्या क्या लिखा है
पहली पोस्ट
दूसरी पोस्ट

जय जय भड़ास

अन्तर सोहिल ने कहा…

आप भी डॉO साहब की तरह कमाल की नजर रखते हैं जी

प्रणाम

Saleem Khan ने कहा…

to kya laga tumhe DR ANWAR JAMAL NAPUNSAK HAIN???

बेनामी ने कहा…

एक और लेखक जो धर्म के सहारे अच्छे और बुरे कि नसीहत दे रहा है, भाई इश्वर गद खुदा जीसस से ऊपर इंसानियत और मानवता पर आओ और सिर्फ मानव के लिए बताओ तो सही हो और हाँ इसमें धार्मिकता और इसके आडम्बर को संलिप्त मत करना, भड़ास मानव को माधव समझता है.
जय जय भड़ास

Unknown ने कहा…

रुपेश जी आपने मुझसे कुछ कहा?
मैंने कब अपनी किताब का प्रचार किया भाई जी? और कब घटिया किस्म के लेबल लगाये?

जमाल और सलीम के साथ मुझे भी एक ही पलड़े में तौल रहे हैं भाई? ज्यादती है मुझ पर…

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