बीमारी तिवारी की कहानी देखिए
शनिवार, 9 अक्टूबर 2010
आदरणीय रजनीश सर एवं डॉ.रूपेश जी,अपनी पहचान छिपाकर रखने के लिये क्षमा चाहता हूँ के आम आदमी हूँ सच में तो डॉ.साहब के शब्दों में "चूतिया"। दर असल ये आदमी प्रदीप तिवारी है लेकिन मैं इसे ललित तिवारी
Tuesday, August 3, 2010
मुखौटाधारियों की सूची लंबी होती जा रही है रणधीर सिंह सुमन,गुफ़रान सिद्दकी,सलीम खान,प्रदीप तिवारी........
लिख रहा हूँ क्योंकि ये मुझे प्रदीप की जगह ललित ज्यादा जान पड़ा कारण है कि ये बड़े रंग लिये हुए है गिरगिट की तरह। इन लोगों के अंदाज में बड़ा लालित्य है जिससे ये लोगों को अपनी बातों से लुभाकर चूसते रहते हैं। मैं इसका नाम बदल रहा हूँ ये मैं हक से कर रहा हूँ ये जब मुझे जानवर,पेड़-पौधा,कीड़ा मकोड़ा कह सकता है तो मैं भी इसका नाम बदल सकता हूँ। इसकी करी गयी टिप्पणी का चित्र प्रेषित कर रहा हूँ देखिये ये क्या है किसकदर बौखलाया है एक आम चूतिया आदमी द्वारा पहचान लिये जाने पर।
मुझे आप लोगों ने जो मंच प्रदान करा है उसके लिये हृदय से आभार व्यक्त करना चाहता हूँ पर शब्दों में नहीं लिख सकता। ठीक मेरे जैसे ही लोग हैं अनूप मंडल के जिन्हें आपने मंच दिया है। आपने जो कार्य करा है वह साधुवाद के योग्य है। ई-मेल के जरिये हम अपनी बात जब सामने रखते हैं तो आपको भी नहीं पता रहता कि ये मत और विचार किसके हैं, मैने अब तक ऐसा अंदाज़ कहीं नहीं देखा इसलिये कह सकता हूँ कि मैं संजय कटारनवरे नाम का एक आम भारतीय कोई और नहीं डॉ.रूपेश श्रीवास्तव हूँ। मुझे याद है कि कुछ समय पहले कई लोगों ने इसी भड़ास के मंच पर स्वीकारोक्ति लिखी थी कि वे हैं डा.रूपेश श्रीवास्तव, सच है कि डा.रूपेश श्रीवास्तव व्यक्ति नहीं विचार हैं और आज मैं भी साहस कर के इस विचार का नाम ले रहा हूँ और सबके सामने कह रहा हूँ कि मैं हूं डा.रूपेश श्रीवास्तव जो कि इन धूर्तों को बेनकाब कर रहा है लेकिन खुद एक बहुत बड़े विचार के अंदर दुबक रहा है इसका कारण है कि मैं एक आम चूतिया भारतीय हूँ।
धूर्तों की जमात के खिलाफ़ जो विचार लिखा था उसके साथ में इसने जो कमेंट करा था उसे चित्र रूप में भेज रहा हूं। यदि आप चाहें तो इस लेख को भी देखें कि क्या गलत है जो मैंने लिखा था।जय भड़ास
संजय कटारनवरे
मुंबई
1 टिप्पणियाँ:
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साँच को आँच कहाँ !
Hold your faith !
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