प्रिय अजमल आमिर कसाब मुंबई नगरी तुम्हारे लिये किसी रखैल जैसी ही है
गुरुवार, 25 नवंबर 2010
आज दो साल हो गया जब तुमने अपने वीर धर्मयोद्धा साथियों के साथ हमारी नगरी मुंबई को बलात अपना बना लिया था। इस प्रकरण में माँ मुंबादेवी के लगभग पौने दो सौ बच्चों को तुम लोगों को मारना पड़ा लेकिन ये तुम्हारा प्रेम ही तो है जिसके लिये तुमने इतना सब कुछ कर डाला इस नगरी को बलपूर्वक अपनी रखैल बना लेने के लिये। हम जानते हैं कि तुम्हें इसकी प्रेरणा अपने बड़े भाई अफ़जल गुरु जी से मिली होगी जिन्होंने मुंबई नगरी की नानी माँ "संसद" को ही बलत्कृत कर डाला था और आज तक सुखी हैं ये बात अलग है कि संसद नानी से रोजाना ही साठ-पैंसठ सालों से यही सब होता आ रहा है लेकिन वो हम लोगों द्वारा चुने हुए अधिकृत बलात्कारी होते हैं जो संसद की गरिमा को नोचा खसोटा करते हैं।
कुछ लोग आज दिल्ली-मुंबई जैसी जगहों पर आज आपके उस वीरता पूर्ण कृत्य को याद करने के लिये मोमबत्तियों का धंधा करेंगे जिनसे खरीद कर कुछ लोग उन्हें जलाएंगे। मोमबत्ती जलाने वालों को लगता है कि वे ऐसा करके उन्हें श्रद्धांजलि दे रहें हैं जिन्हें आपने वीरतापूर्वक कीड़े-मकोड़ों की तरह मार दिया था। मोमबत्तियाँ बुझ जाएंगी सब अपने अपने घर चले जाएंगे। आप उसी तरह हमारे देश के कानून का कंडोम पहन कर संवैधानिक अधिकारपूर्वक अपनी रखैल मुंबई नगरी से जितना चाहें जैसे चाहें सब कुछ कर सकते हैं, जेल अधिकारियों को भी पीट दिया करिये यदि वे कुछ अड़चन पैदा करें।
हमारे देश में आप जैसे महावीर दामादों की सख्त कमी है आशा है कि आपके आका इस बात पर ध्यान देते हुए जल्द ही कुछ और लोगों को भेजेंगे। हमारी मुंबई नगरी अभी भी सुरक्षा के नाम पर अभी भी वैसी ही अधनंगी चौराहे पर खड़ी है जैसे पिछले साल इस दिन थी क्योंकि उसकी गरिमा की नीलामी करने वाले तो हमारे देश के नेता,जनता और अधिकारी ही हैं।
आपको सादर नमन
जय जय भड़ास
1 टिप्पणियाँ:
सटीक व्यंग्य
इस पोस्ट के लिये धन्यवाद
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