सच्चे का बोलबाला झूठे का मुंह काला
शनिवार, 14 मई 2011
अमित जैन और प्रवीण शाह ने भड़ास पर आकर जिस तरह से दिल और दिमाग में अटकी बातों को निकाल कर मन हल्का कर लेने वाले मंच पर अपनी मक्कारियों के दस्त करे हैं उसे देख कर मन करा कि थोड़ा अपनी जिम्मेदारी पूरी कर दूं। झाड़ू उठा कर मंच को साफ़ करना जरूरी था तो मैं बिना देर करे आ गया। प्रवीण शाह बौखला कर भड़ास पर सबको अनूप मंडल कह कर अपना मन हल्का कर रहा है और अमित जैन है कि अनूप मंडल और संजय कटारनवरे को भठियारिनों की तरह पानी पी-पी कर कोसने में लगा है। अब तो दोनो पर तरस आने लगा है। बेचारा प्रवीण शाह जितना हो सकता है अपनी तर्कशक्ति का प्रयोग करके संचालकों को ही अनूप मंडल का भाविक सिद्ध करने पर तुला है क्या करे और कुछ मार्ग ही नहीं दिख रहा है उसे। बड़े भइया डा.साहब ने इसके "शैतान", भूत, पिशाच बनने के सारे मुखौटे उतार कर असल चेहरा दिखा दिया कि सचमुच महागधे हो जैसा को संजय कटारनवरे ने बताया है। मुझे तो ये अनूप मंडल का भाविक कह चुका है अब संजय कटारनवरे को इसके बाद एक-एक करके बस खुद और अमित जैन को छोड़ कर सब भड़ासियों को अनूप मंडल का भाविक कह देगा, मजा आ रहा है इसकी छटपटाहट देख कर। तर्क की बात करने वाला ईश्वर विरोधी है यानि कि अगर ये जैन है तो मैं अनूप मंडल का भाविक.... है न मजेदार समीकरण।
बेचारा अमित अपनी हालत के लिये कार्टून इंटरनेट पर तलाश रहा होगा। जल्द ही अपनी सुलगती हुई पिछाड़ी लेकर टपकेगा। हम सब काले जादू और उसमें जैनों के योगदान पर चर्चा करें तो अच्छा रहेगा प्रवीण शाह और अमित जैन उस चर्चा में सक्रिय भाग ले सकेंगे सुबह से शाम और रात से सुबह तक "अंधविश्वास-अंधविश्वास" की माला का जाप करते हुए ;)
जय जय भड़ास
1 टिप्पणियाँ:
आदरणीय भाई मुनेन्द्र सोनी जी यदि आप लोग इन दोनो को इस तरह से लिखेंगे तो ये दोनो चुप्पी साध लेंगे या फिर भाग जाएंगे जिससे अभी जो तमाम रहस्य हमें खोलने हैं वे नहीं खुल सकेंगे। हम इनके संदर्भ से बताना चाहते हैं कि किस तरह से ये राक्षस शब्दों में,चित्रों में,भाषा में, बोली में,शब्दकोशों में,इतिहास की पुस्तकों में,धर्म गृन्थों में अत्यंत धीरे-धीरे बदलाव ले आए हैं कि यदि आप अपने धर्मगृन्थों को उठा कर देंखें तो इतना विरोधाभास देखने को मिलेगा कि आप धर्म से विमुख ही होने लगेंगे। यही कारण है कि सनातन शाश्वत धर्म में इन्होंने मूर्तिपूजा घुसेड़ी जो कि हिंदू कभी नहीं करते थे।
हमारी बहुत सारी बातें अभी बाकी हैं
जय जय भड़ास
जय नकलंक देव
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