डा.रूपेश जी की माता जी की मृत्यु नैसर्गिक नहीं बल्कि अत्यंत क्रूर हत्या थी- भाग ३

मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

इस रहस्यमय नृशंस हत्या के खुलासे की पहली कड़ी
जिन्हें ये हत्या मात्र मनगढंत कहानी लग रही है वे इस दूसरी कड़ी को भी पढ़ें
अब आगे.....
बड़े भाईसाहब ने जब उन लटकाए हुए पपीतों को तांत्रिक के कहने पर उतार कर उसे दिया तो बताया कि इन पपीतों का भार अधिक लग रहा है। तांत्रिक ने पूजा आदि का विग्रह सजा कर हल्दी के चूर्ण से एक वृत्ताकार मंडल बनाया जिसमें रख कर उसने पपीतों पर बंधा लाल कपड़ा खोला और एक एक करके उन्हें घर के चाकू से ही काटा। पपीते काटने पर बीजों के अलावा क्या निकलेगा ये तो उम्मीद ही न थी लेकिन जब पहले पपीते में से साड़ी का एक तिहाई टुकड़ा, करीब दो सौ ग्राम सूखी लाल मिर्चें आदि जैसी सामग्री निकली तो सभी लोग भौचक्के रह गये जबकि खुद डा.रूपेश श्रीवास्तव क्लोज-अप मैजिक यानि नजदीक से दिखाए जाने वाली जादुई ट्रिक्स के बारे में काफ़ी कुछ जानते हैं, नारियल मे से देवी मां का वस्त्र, समूचा अंडा आदि निकाल लेने जैसी ट्रिक्स वे स्वयं बहुत सफ़ाई से कर लेते हैं क्योंकि वे बहुत दिनों तक अंधश्रद्धा निर्मूलन के लिये काम करते रहे हैं। इसलिये जाहिर सी बात है कि उनके आगे कोई हाथचालाकी करना तो लगभग असंभव है। सबसे बड़ी बात है कि इस पूरी घटना को वे स्वयं इन बातों पर सहज विश्वास न होने के कारण कैमरे में बिना रुके कैद करते जा रहे थे जिसकी बिना किसी कट के पूरी लगभग पौने घंटे की वीडियो उनके पास मौजूद है जिसे हम सभी अनूप मंडल के लोगों ने पच्चीसों बार संदेह करते हुए देखा है कि शायद कुछ पकड़ में आ जाए। दूसरा पपीता तांत्रिक ने काटा तो उसमें से बकरे की घुटनों से काटी हुई चार टांगें, दो अंडे, दो शंख जिनके मुंह बालों के गुच्छे से बंद करे गए थे,ब्लाउज की दो काटी हुई आस्तीनें, अगरबत्तियां आदि सामग्री निकली। डा.साहब और बहन भारती जी के अनुसार इस पूरे काम के दौरान कमरे में ऐसी गंध विद्यमान थी जैसे कि मांस के जलने पर आती है जिसके कारण उन्हें भयंकर उल्टी सी आ रही थी। तीसरा पपीता काटने पर उसमें से कुछ हड्डियां, दो लाल कपड़े और लकड़ी से बनाई गुडियानुमा आकृतियां, दो नींबू जिनमें कि पचास साठ आलपिनें चुभोई हुई थी आदि निकली। तांत्रिक इस सारे सामान को बिछाए हुए पुराने अखबार पर आक(मदार) के पत्तों से पकड़-पकड़ कर रखता जा रहा था और उसके बार बार मना करते रहने के बावजूद हमारे डा.रूपेश जी उस सामान को एक एक उठा कर अपने कैमरे के लैंस के बिलकुल पास लाकर दिखा रहे थे ताकि सब देख सकें कि क्या सामान है।
शेष आगे लिखेंगे ये सत्य आपके सामने अवश्य लाया जाएगा................
इस पूरी घटना के विस्तार से लिखने के पीछे एक महत्तम कारण है कि महाशय तारकेश्वर गिरी जी जैसे लोगों का ये भ्रम दूर करा जा सके कि आंखे और बुद्धि उनके अलावा अन्य लोगों के पास भी हैं। अनूप मंडल और भड़ास परिवार ने आजतक जो भी करा और कहा है वह आधारहीन,तथ्यहीन व तर्कहीन नहीं रहा है। यदि किसी भी स्वयंभू विद्वान या बुद्धिमान में सत्य को स्वीकारने का साहस है तो भड़ास के मंच पर आकर इस विषय पर विमर्श करे कि जादू-टोना है या नहीं।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

6 टिप्पणियाँ:

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

हर चीज का जिक्र कहाँ विज्ञान में है
जादू है मगर ये वेदो क़ुरआन में है


आदरणीय भाई रूपेश जी की माता जी के परलोक गमन की परिस्थितियों पर शोक !

मनोज द्विवेदी ने कहा…

IS BAT ME PURI SACHCHAI HAI KI JADU-TONA-MARAN MANTRA HOTA HAI. BANARAS ME MAIN KE AISE VYAKTI KO JANTA HUN. JO YE SAB KARTE HAIN. UNKI KAI KRIYAYEN MAINE APNI ANKHON SE DEKHI HAI AUR SACH PUCHHIYE TO YE BHI EK VIGYAN KI TARAH SAIDDHANTIK RUP SE KAM KARTA HAI. BASHARTE SARE PRAYOG NIYMANUSAR KIYE JAYE.

बेनामी ने कहा…

खुद डा.रूपेश श्रीवास्तव क्लोज-अप मैजिक यानि नजदीक से दिखाए जाने वाली जादुई ट्रिक्स के बारे में काफ़ी कुछ जानते हैं, नारियल मे से देवी मां का वस्त्र, समूचा अंडा आदि निकाल लेने जैसी ट्रिक्स वे स्वयं बहुत सफ़ाई से कर लेते हैं क्योंकि वे बहुत दिनों तक अंधश्रद्धा निर्मूलन के लिये काम करते रहे हैं।

फिर भी इन मक्कार तान्त्रिको के चक्कर में फस गए ?

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

आत्मन बेनामी,आपने जो लिखा है कि मैं मक्कार तांत्रिकों के चक्कर में कैसे फँस गया तो बस इतना कहना है कि मै भड़ास का संचालक हूँ जिसे चूतिया बनाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन जैसा है। आपको क्या लगता है कि जादूटोना नहीं होता है तो जरा हमारा संविधान देखिये जो कि काले जादू को प्रतिबंधित कर रहा है क्या जिस कला का अस्तित्व नहीं है उसे प्रतिबंधित करने वाले हमारे संविधान निर्माता क्या मूर्ख थे?यदि हम किसी भी पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं तो शोध और विमर्श से मुँह चुराते हैं। मैं स्वयं एक चिकित्सक हूँ और जीवन के प्रति वैज्ञानिक नज़रिया रखता हूँ यही वजह रही कि मैं इस पूरी घटना का वीडियो बनाता रहा। इतना ही नहीं वीडियो का भी पूरा परीक्षण करा है जो कि बिना शंका के संभव नहीं। आप यदि खुल कर सामने आएं तो आगे बात करी जाए
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

डॉ साहब ,आप जो कह रहे है की कला जादू होता है ,वो आप अंधश्रद्धा निर्मूलन के समय भी कहते थे , या उस समय इसे कोरी बकवाश बताते थे , आप ये दोगला पण क्यों कर रहे है , जहा आप जैसे पढ़े लिखे और समझदार व्यक्ति को इन काले जादू जैसी तकनीकों को सब के सामने लाना चाहिये
जब आप खुद नारियल मे से देवी मां का वस्त्र, समूचा अंडा आदि निकाल लेने जैसी ट्रिक कर सकते है , तो जो व्यक्ति आप को ये सब करते हुए पहली बार देखेगा वो आप को भी बड़ा तांत्रिक समझ लेगा , इसी पार्कर आप ने उस तांत्रिक की करी हुई हाथो की कलाकारी को देख कर उसे बड़ा तांत्रिक मान लिया ,
और रही बात भारत के सविधान निर्माताओ की तो उन्होंने काले जादू को नहीं काले जादू की किर्या को पर्तिबंधित कर रहा है , ताकि कोई किसी भी भोले भले या आप जैसे समझदार व्यक्ति का मानसिक , शारीरिक , आर्थिक या किसी और तरह से शोषण ,व्यभिचार न कर सके
यदि आप अभी भी इस बात को मानते है की वर्धा अवस्था में सवर्ग जाने की आप की माता जी की अवस्था नहीं थी , तो किर्पया आपने जो विडियो रिकॉर्ड किये है उन्हें मुझे मेल कर दे ,ताकि आप की संका का निवारण हो सके , मेरा मेल id देख कर परेशान मत होना , वो इन्ही कामो के लिए ही बना है
मेरा mail id है
mr_yamraj_ji@yahoo.com

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