डा.रूपेश जी की माता जी की मृत्यु नैसर्गिक नहीं बल्कि अत्यंत क्रूर हत्या थी- भाग 4

शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010

इस रहस्यमय नृशंस हत्या के खुलासे की पहली कड़ी- भाग १

जिन्हें ये हत्या मात्र मनगढंत कहानी लग रही है वे इस दूसरी कड़ी को भी पढ़ें- भाग-२

डा.रूपेश जी की माता जी की मृत्यु नैसर्गिक नहीं बल्कि अत्यंत क्रूर हत्या थी- भाग 3
गत पोस्ट से आगे......
तांत्रिक के कई बार मना करने पर भी कि आप खुले हाथों से इस मारण कर्म की सामग्री को न छुएं अन्यथा इसका आपको गम्भीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है, हमारे अवतार स्वरूप डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी एक एक वस्तु को कैमरे के सामने रखते दिखाते जा रहे थे। इसके बाद जब उस तांत्रिक ने सब निकालने के बाद देवी के बनाए हुए विग्रह के सामने हवन करा और शेष हवन सामग्री को छोड़ते हुए कहा कि आप सभी लोग क्रमशः अग्नि में हव्य डालते हुए सामग्री समाप्त कर दें। देवी के विग्रह के पास रखे हुए फल मेवा आदि को प्रसाद के रूप में अगले दिन बाँटने की हिदायत देकर तांत्रिक चला गया लेकिन जाते जाते ये कह गया कि देखिये मैंने आपके कहने पर जो भी हो सकता था करा लेकिन माताजी के लिये करे गये मारण कर्म में निर्धारित मुद्दत समाप्त हो चुकी है। अब जब बाकी लोग सन्नाटे में थे तो हमारे डॉ.साहब ने मुनव्वर आपा को कैमरा पकड़ा कर बाल्टी में भरे सामान को दोबारा एक-एक करके निकालना शुरू कर दिया और साड़ी के उस टुकड़े को पूरा खोल डाला जो कि पपीते में से निकला था उसकी लम्बाई लगभग डेढ़ मीटर के आसपास थी ब्लाउज की आस्तीनें जो लिपटी हुई रखी थी वो भी खोल डाली। पपीते के उन काटे हुए टुकड़ों को हर तरह से मैग्नीफ़ाइंग लेंस से भी देखा कि कहीं ये टुकड़े पहले काट कर चिपकाए हुए तो नहीं थे। बहरहाल जब उन्होंने नग्न आँखों और लेंस से देखने पर भी कुछ न पाया तो दोबारा सब समेट कर उसी बाल्टी में भर दिया।
इसी बीच जब डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी के बड़े भाईसाहब ने उस सभी तांत्रिक सामग्री की बाल्टी को बाहर ले जा कर फेंकने के लिये उठाया तो अचानक झटके से छोड़ दिया और पलट कर पीछे देखा क्योंकि उन्हें लगा कि किसी ने उनकी कमर पर एक जोर से लात मारी हो। जब वहाँ मौजूद लोगों नें पूछा कि क्या हुआ तो उन्होंने बताया कि ऐसा लगा कि किसी ने कमर पर लात मारी और आश्चर्य कि देखने पर बाकायदा उनकी कमर पर जूते के सोल का निशान छपा हुआ था जिसकी तस्वीर डॉ.साहब ने तुरंत ली और भाईसाहब व अन्य किसी को भी उन वस्तुओं को हाथ लगाने से मना कर दिया। स्वयं डॉ.साहब उस बाल्टी को लेजाकर कूड़े के ढेर पर दूर जाकर फेंक कर आए। घर में डर, आश्चर्य, इस बात की खुशी के शायद समस्या हल हो गयी है ये सारे भाव तैर रहे थे।
शेष जल्द ही आगे की सच्चाई.......
लेकिन देखिए कि सच्चाई सामने आने से राक्षसों में डर छा गया है इसलिये वे हमें इस बात से हटाने के लिये कभी उल्टी सीधी पोस्ट लिखते हैं और कभी ऊटपटाँग कमेंट्स करते हैं यानि हम सही दिशा में इन दुष्टों को पकड़ रहे हैं।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

2 टिप्पणियाँ:

अजय मोहन ने कहा…

बड़े भाईसाहब के पिछवाड़े पर लात की बात के बारे में जानकारी नहीं थी ये आप एक एक पर्त खोल कर लिख रहे हैं तस्वीर भी डालिये तो जरा सच की बयानी में वज़न आएगा। जारी रखिये
जय जय भड़ास

ताऊ ने कहा…

तेरे पिछवाड़े न लात पड़ी के ,बावली पूछ

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